हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

परिचय

फूलगोभी (गोभी) भारत की सबसे लोकप्रिय सब्ज़ियों में से एक है। यह पौष्टिक सब्ज़ी विटामिन C, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होती है। हिमाचल प्रदेश की ठंडी जलवायु में फूलगोभी की खेती आसानी से की जा सकती है। सही किस्म का चुनाव, पौध तैयार करना और उचित देखभाल करने पर किसान भाई कम लागत में अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

1. बोने का समय (Season of Sowing)

हिमाचल प्रदेश की जलवायु के अनुसार गोभी की खेती को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है:

  • अग्रेसर किस्में (Early varieties): मई–जून में नर्सरी डालें, जुलाई–अगस्त में रोपाई करें।
  • मध्यकालीन किस्में (Mid-season varieties): अगस्त–सितंबर में नर्सरी बोएँ, अक्टूबर–नवंबर में रोपाई करें।
  • देरी वाली किस्में (Late varieties): अक्टूबर–नवंबर में नर्सरी डालें, दिसंबर–जनवरी में रोपाई करें।

👉 अगस्त–सितंबर महीनों में मध्यकालीन किस्मों की नर्सरी डालना सबसे उपयुक्त है।


2. किस्मों का चुनाव (Variety Selection)

  • अग्रेसर किस्में: Pusa Katki, Pusa Early Synthetic, Pant Gobhi-2
  • मध्यकालीन किस्में: Pusa Sharad, Pant Gobhi-3, Improved Japanese
  • देरी वाली किस्में: Pusa Snowball, Himani, Snowball-16
हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

3. नर्सरी की तैयारी (Nursery Raising)

  • बीज की मात्रा: 400–500 ग्राम/हेक्टेयर पर्याप्त है।
  • नर्सरी की क्यारियाँ ऊँची और अच्छी जल निकासी वाली जगह पर बनाएं।
  • बीजों को बुवाई से पहले थिरम (2–3 ग्राम/किग्रा बीज) या Trichoderma से उपचारित करें।
  • अंकुरण के बाद पौधों को हल्की सिंचाई और छायादार वातावरण दें।
  • 30–40 दिन में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

4. खेत की तैयारी (Field Preparation)

  • 2–3 जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें।
  • अंतिम जुताई पर 20–25 टन गोबर की खाद (FYM) डालें।
  • रोपाई के लिए 45×45 सेमी दूरी रखें।
हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

5. खाद एवं उर्वरक (Manures & Fertilizers)

  • नाइट्रोजन (N): 150 किग्रा/हेक्टेयर
  • फास्फोरस (P2O5): 80 किग्रा/हेक्टेयर
  • पोटाश (K2O): 60 किग्रा/हेक्टेयर

उर्वरक देने की विधि:

  • पूरी मात्रा में गोबर की खाद + फास्फोरस + पोटाश बेसल डोज़ में डालें।
  • नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपाई के 30 दिन बाद और बाकी 50 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग में दें।
हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

6. सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management)

  • रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
  • खेत में नमी बनी रहनी चाहिए, लेकिन पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए।
  • सर्दियों में 10–15 दिन के अंतर पर और गर्मी में 7–10 दिन के अंतर पर सिंचाई करें।
हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

7. रोग एवं कीट प्रबंधन (Pests & Diseases)

  • डैम्पिंग ऑफ (Damping off): नर्सरी में बीज उपचार और फफूंदनाशी छिड़काव करें।
  • ब्लैक रॉट (Black rot): रोगग्रस्त पौध नष्ट करें और तांबे आधारित दवा का छिड़काव करें।
  • हीरा कीट (Diamondback moth): नीम आधारित कीटनाशी या फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

8. कटाई एवं उत्पादन (Harvesting & Yield)

  • किस्म के अनुसार बुवाई के 90–120 दिन बाद फूल तोड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • फूल सफेद और कॉम्पैक्ट होने चाहिए।
  • औसत उत्पादन: 200–250 क्विंटल/हेक्टेयर
हिमाचल प्रदेश में फूलगोभी (Cauliflower) की खेती – पूरी जानकारी

निष्कर्ष

हिमाचल प्रदेश में गोभी की खेती किसान भाइयों के लिए बेहद लाभकारी है। सही किस्म, उर्वरक प्रबंधन और रोग नियंत्रण के साथ किसान भाई कम लागत में ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं। अगस्त–सितंबर माह में नर्सरी डालने से मध्यकालीन किस्में अच्छी पैदावार देती हैं और बाजार में बेहतर दाम भी मिलते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *